किसान विरोधी तीन काले कानूनों और बिजली बिल 2020 के खिलाफ किसान संगठन ने किया प्रदर्शन


किसान विरोधी काले कानूनों और बिजली बिल 2020 के खिलाफ किसान संगठन – AIKKMS ने किया प्रदर्शन 14.10.2020 बदलापुर जौनपुर

ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन- AIKKMS के आह्वान पर किसान विरोधी खेती के तीनों काले कानूनों व बिजली संशोधन अधिनियम 2020 के खिलाफ आयोजित देशव्यापी प्रतिरोध दिवस के अवसर पर आज दिनांक 14 अक्टूबर 2020 को किसान संगठन ए आई के के एम एस की जौनपुर जिला कमेटी की तरफ से बदलापुर तहसील मुख्यालय पर जुलूस व प्रर्दशन किया गया। इसके पहले बदलापुर स्थित सब्जी मंडी परिसर से एक जुलूस निकाला गया जो नगर भ्रमण करते हुए इन्दिरा चौक पहुंच कर विरोध सभा में तब्दील हो गया। जुलूस में शामिल लोगों ने सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार नारे लगाए और मांग किया कि, किसान-विरोधी खेती के तीनों काले कानूनों व बिजली संशोधन अधिनियम 2020 को रद्द किया जाए। सार्वजनिक क्षेत्रों व खेती में निजीकरण की नीति वापस ली जाए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भाजपा की मोदी सरकार ने तानाशाही से किसान-विरोधी तीन काले कानून बना कर अब तक जो थोड़ी बहुत राहत किसानों को मिलती थी, उसे भी खत्म कर दिया। 1991 से कांग्रेस व अन्य सरकारें सुधारों के नाम से गुमराह कर यही सब करती आ रही थी। अब भाजपा सरकार खुल्लमखुल्ला बड़ी व्यापारिक कंपनियों, कारपोरेट घरानों के पक्ष में खड़ी हो गई है। देश के शोषित किसानों को बाजार में बड़े-बड़े मगरमच्छों के बीच अकेले निसहाय, लाचार छोड़ दिया है। इन कानूनों का मकसद खेती पर मुक्कमल रूप से पूंजीपतियों का शिकंजा मजबूत करना है ताकि वे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लूट सकें। जैसे-जैसे देश के किसानों को इनकी असलियत मालूम होती जा रही है, वे चट्टान की तरह इनके खिलाफ खड़े हो रहे हैं।

इन तीन कानूनों में
(1) भोजन की आवश्यक वस्तुओं (सभी अनाज, दाल, आलू, प्याज, खाने का तेल व तिलहन) की जमाखोरी, कालाबाजारी को छूट दी गई है,
(2) सरकारी मण्डियों को ध्वस्त कर उन पर बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों का एकाधिकार कायम करना है और
(3) अनुबंधित खेती के जरिए किसानों की रोजी रोटी के एकमात्र साधन कृषि-भूमि को बड़ी कंपनियों के नियंत्रण में लाना है। साथ ही, बिजली की पैदावार, इसकी सप्लाई और बिल वसूलने के सारे मालिकाना अधिकार सरकार प्राईवेट मालिकों के हाथ में देने जा रही है।
इन कानूनों से किसानों पर कर्ज बढ़ेगा, उन्हें खेती से बाहर कर दिया जायेगा। साथ ही तमाम ग्रामीण गरीबों और शहरी उपभोक्ताओं को भी इनका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, उनकी भी रोटी छीन ली जायेगी। इनसे कुपोषण और भुखमरी बढ़ेगी।

250 किसान संगठनों के साझे मोर्चे – ‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति’ ने 25 सितंबर को ‘ग्रामीण भारत बंद’ सफल बना कर इनका कड़ा प्रतिरोध किया था। और उसके बाद लगातार देशभर में इन किसान-विरोधी तीन काले कानूनों और बिजली विधेयक 2020 की प्रतीकात्मक प्रतियाँ फूंकी जा रही हैं।

ऑल इण्डिया किसान खेत मजदूर संगठन ने अब आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए गांवों में सभाएं कर इन काले कानूनों के खिलाफ हर गांव की अपनी ‘संघर्ष कमेटियां’ बनाने का आह्वान किया है। इसी कड़ी में आज 14 अक्टूबर 2020 को ‘अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस’ को सफल बनाने हेतु उत्तर प्रदेश में भी विभिन्न तरीकों से कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। आज जरूरत है कि सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर एक सशक्त व दीर्घस्थाई जनांदोलन चलाया जाए। इसके अलावां और कोई रास्ता नहीं है।
कार्यक्रम को संगठन के अशोक कुमार खरवार, राजेंद्र प्रसाद तिवारी, रामगोविन्द सिंह, देवनारायण मौर्य, जयप्रकाश पाण्डेय, जवाहिरलाल मिश्र, अमरनाथ दूबे आदि ने सम्बोधित किया। अध्यक्षता- कामरेड जयनारायण मौर्य व संचालन- मिथिलेश कुमार मौर्य ने किया। इस अवसर पर हीरालाल गुप्ता, रविशंकर मौर्य, राजबहादुर मौर्य, दिलीप कुमार, विकास कुमार, दिनेशकान्त आदि मौजूद रहे। अन्त में किसान विरोधी खेती के तीनों काले कानूनों की प्रतियां जलाई गई।

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