बीएसए संतोष सक्सेना के सय पर संविदा कर्मी ने मानदेय के नाम किया घोटाला
सुलतानपुर: महानिदेशक ने सहायक शिक्षा निदेशक को सख़्ती से दिये आदेश बेशिक शिक्षा विभाग सुल्तानपुर मे EMIS के पद पर कार्यरत व लेखा का कार्य लूट के चक्कर मे कर रहे सुनील सिंह के द्वारा निर्धारित मानदेय से अधिक का भुगतान लिए जाने, भर्ष्टाचार का खुलासा किये जाने व भर्ष्ट कर्मचारी के खिलाफ जांच हेतु वित्त एवं लेखाधिकारी को नियुक्त किया गया| आरोपी कर्मचारी ने जांच अधिकारी हटाने की कर ली मांग बीएसए भी जुट गये करने मे सिफारिश|
बेशिक शिक्षा विभाग भर्ष्टाचार के मामले पूर्व से ही सुर्खियों मे रहा है, पूर्व BSA कौस्तुभ सिंह के खास कहे जाने वाले सुनील सिंह जो नियुक्त डाटा ऑपरेटर से सम्बंधित कार्य हेतु किया गया है, किन्तु BSA को लाभ पहुंचने के चक्कर मे लेखा व समस्त भुगतान से सम्बंधित कार्यों को भी किया जाता है, भुगतान का कार्य किये जाने पर खुद का मानदेय का भुगतान भी किया जाता रहा है, अपनी सत्ता क़ायम हो तो क्या ही डरना आलम ये हो चला की राज्य परियोजना निदेशक का आदेश भी दरकिनार कर दिया गया राज्य परियोजना निदेशक ने EMIS इंचार्ज सुनील सिंह का मानदेय रु. 14480/ निर्धारित किया गया था, सूत्र ज्ञात हुआ की लगभग रु.30000 से 32000 का भुगतान प्रतिमाह की दर किया जाता है| जिसके सम्बन्ध मे हाईकोर्ट के एडवोकेट ने भर्ष्टाचार पर लगाम कसने वाले महानिदेशक विजय किरण आनंद के पास शिकायत की जिस पर तत्परता से कार्यवाही करते हुये सहायक शिक्षा निदेशक अयोध्या मण्डल अयोध्या को पत्र जारी किया| सहायक शिक्षा निदेशक ने वित्त लेखाधिकारी बेशिक को जांच अधिकारी नियुक्त किया आख्या तत्काल उपलब्ध कराये जाने हेतु जिला बेशिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया| विभाग मे पत्र प्राप्त होने के उपरांत अधिकारी व सम्बंधित कर्मचारी मे सन्नाटा फैला गया है, जिला बेशिक शिक्षा अधिकारी मजबूरन जांच हेतु वित्त लेखा अधिकारी को पत्र जारी किया गया है, जिसमे सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी व आरोपी कर्मचारी सुनील सिंह को जांच मे सहयोग किये जाने हेतु निर्देशित किया गया| किन्तु आरोपी कर्मचारी सेटिंग-गेटिंग होते न देख वित्त एवं लेखा अधिकारी बेशिक से जांच न करने की मांग कर ली वित्त एवं लेखाधिकारी ने कहा की सुनील सिंह व अन्य संलिप्त कर्मी मुझसे जांच नहीं करायेंगे अभी तक किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किया गया और न ही जांच से सम्बंधित अभिलेख ही उपलब्ध कराया गया है, ऐसी स्थिति मे जांच होना संभव नहीं है| जांच होने से बीएसए संतोष सक्सेना व अन्य अधिकारी की पोल खुलने का डर सता रहा है, ऐसी स्थिति मे आरोपी पर बीएसए का पूरा सय दिखता नजर आ रहा है, जब आरोपी खुद ही तय करेगा जांच अधिकारी तो भर्ष्टाचार का हो चुका खुलासा प्रधानमंत्री मोदी जी के सपने टूटते हुये दिख रहे जब इस तरह के बीएसए व अधिकारी जिले की कमान संभालेंगे तो कैसे हो सकता है खुलासा पूर्व मे भी इसी तरह की कई जांच हुई भर्ष्टाचार के गाल मे दफ़न हो गयी| शासन व प्रसाशन आरोपी की मांगे मानकर जांच अधिकारी हटाकर दूसरे अधिकारी की नियुक्त करता है या मामला सेटिंग-गेटिंग से सुलझ जाता है| जब तक संतोष सक्सेना जैसे बीएसए का हो सय तो भर्ष्टाचार का खुलासा कैसे?
अब देखना यह है की खुलासा होता है या पूर्व की तरह भर्ष्टाचार के गाल मे जांच समां जाती है, महानिदेशक भर्ष्टाचारी कर्मी पर नकेल कस सकते है या भर्ष्टाचारी अपने मनसूबे मे क़ायम होते है|